Friday, May 8, 2020

सीएम गहलोत ने स्कूल शिक्षा, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा से जुड़े विषयों पर की समीक्षा, दिए ये आदेश

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि लॉकडाउन के कारण कोई अभिभावक आर्थिक स्थिति के चलते फीस जमा नहीं करा पाता है तो निजी स्कूल ऎसे विद्यार्थी का नाम नहीं काटें। यदि कोई स्कूल ऎसा करता है तो राज्य सरकार उसकी मान्यता निरस्त कर सकती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग इस बात का भी परीक्षण कराए कि निजी स्कूल विद्यार्थियों को फीस एवं अन्य शुल्कों में किस प्रकार राहत दे सकते हैं और उन विद्यालयों का संचालन भी प्रभावित नहीं हो। गहलोत शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो कांफ्रेंस के जरिए स्कूल शिक्षा, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा से जुड़े विषयों पर समीक्षा कर रहे थे। 

 


सीबीएसई के अनुरूप लेंगे बोर्ड परीक्षाओं पर निर्णय

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं एवं बारहवीं कक्षाओं की शेष परीक्षाएं फिलहाल स्थगित रहेंगी। बाद में सीबीएसई द्वारा लिए जाने वाले निर्णय के अनुरूप फैसला किया जाएगा, ताकि दोनों बोर्ड की परीक्षाओं में एकरूपता बनी रहे और प्रदेश के विद्यार्थियों का अहित न हो। इसी प्रकार उच्च एवं तकनीकी शिक्षा में भी परीक्षाओं का आयोजन स्थितियां सामान्य होने पर करवाया जा सकेगा। 

 

ग्रीष्मावकाश में मिड-डे मील का हो पारदर्शी वितरण

 गहलोत ने निर्देश दिए कि शिक्षा विभाग ग्रीष्मावकाश में बच्चों को मिड-डे मील के लिए उचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण बच्चों को पका हुआ भोजन उपलब्ध कराना संभव नहीं है। ऎसे में अभिभावकों को सूखी राशन सामग्री उपलब्ध कराने के लिए पारदर्शी तरीके से उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाए।

 

सभी भर्तियों में मेरिट एवं काउंसलिंग से होगी प्रथम नियुक्ति 


मुख्यमंत्री ने लिपिक ग्रेड द्वितीय भर्ती परीक्षा-2018 के अभ्यर्थियों को जिला एवं विभागों का आवंटन पुनः नई प्रक्रिया से करने के निर्देश दिए। उन्होेंने कहा कि सभी विभागों को मेरिट के आधार पर उनकी आवश्यकता के अनुरूप चयनित अभ्यर्थियों की सूची उपलब्ध कराएं। उसके बाद संबंधित विभाग मेरिट एवं काउंसलिंग के आधार पर उन्हें जिला आवंटित करे। उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि भविष्य में सभी भर्तियों में प्रथम नियुक्ति सभी विभागों द्वारा मेरिट एवं काउंसलिंग के आधार पर ही दी जाए।


 

आरटीई की आय सीमा फिर से ढाई लाख होगी

 गहलोत ने कहा कि यूपीए सरकार के समय शिक्षा का अधिकार अधिनियम लाकर गरीब वर्ग के बच्चों को निजी विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने का ऎतिहासिक कदम उठाया गया था। विगत कुछ वर्षों में इस कानून की भावना के अनुरूप जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पाया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस कानून की पारदर्शिता के साथ पालना सुनिश्चित करवाई जाए। इसके लिए अभिभावकों की आय सीमा को एक लाख से बढ़ाकर ढाई लाख रूपए किया जाए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आरटीई के जरिए बच्चों को बड़े नामी निजी स्कूलों में भी पढ़ने का अवसर मिले। 

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