इस साल का पहला सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) आज रविवार 21 जून को लग रहा है और इस दौरान पूरे देश के मंदिरों के कपाट बंद हो गए हैं लेकिन देश में उज्जैन का महाकाल मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां सूतक का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और ग्रहण के दौरान भी इस मंदिर के कपाट खुले रहते हैं। आखिर क्या है इसका रहस्य जानिये इस बडी खबर के बारे में-
सूतक काल के समय भी होती है यहां भस्म आरती
उज्जैन के महाकाल मंदिर में सूतक काल का कोई फर्क नहीं पड़ता है। प्रतिदिन नियम अनुसार यहां सूतक काल के समय भी पूजा होती है और भस्म आरती की जाती है। हालांकि ग्रहण के समय शिवलिंग को स्पर्श नहीं किया जाता है और इस वक्त पूजा-पाठ और भोग भी नहीं लगाया जाता है। यह भी धार्मिक मान्यता है कि पूरे विश्व में धरती पर काल के देवता महाकाल के इस मंदिर का कोई ग्रहण कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। यह भी मान्यता है कि सूर्य या चंद्र ग्रहण के दौरान वैष्णव मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं लेकिन शैव मंदिरों के पट खुले रहते हैं। इधर महाकाल मंदिर के पुजारी प्रदीप गुरु ने बताया कि महाकाल मंदिर में सुबह 10 से 10.30 बजे तक भोग आरती होती है मगर आज ग्रहण की वजह से भोग आरती का समय बदलेगा और आरती ग्रहण मोक्ष के बाद मंदिर की शुद्धि पश्चात दोपहर करीब 2.30 बजे होगी।
( रविवार को सूतक काल में हुई महाकाल की भस्मारती श्रृंगार के दर्शन )
अन्य मंदिरों में नहीं होगी पूजा-पाठ व आरती
देश में इस वक्त सूर्य ग्रहण का सूतक काल चल रहा इस कारण सभी मंदिरों के कपाट बंद हैं और आज होने वाली आरती व पूजा-पाठ नहीं होगी एवं सूर्य ग्रहण समाप्ति के बाद गंगा जल से शुद्विकरण के बाद ही मंदिरों के कपाट खोले जाएंगे तब पूजा-पाठ-आरती की जाएगी।
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