जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने शिक्षा विभाग में कार्यरत अध्यापक ग्रेड तृतीय से वरिष्ठ अध्यापक के पद पर 3 वर्ष पूर्व जूनियर अध्यापकों की पदोन्नति करने पर शिक्षा विभाग को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। करौली जिले में कार्यरत अध्यापक ग्रेड धारा सिंह मीणा की ओर से अधिवक्ता विजय पाठक ने इस संबंध में हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी।
अधिवक्ता विजय पाठक ने बताया कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति तृतीय श्रेणी अध्यापक के पद पर जुलाई 2006 में हुई थी, याची की नियुक्ति के बाद मार्च 2008 में नियुक्त होने वाले अध्यापकों को फरवरी 2017 में अध्यापक ग्रेड द्वितीय अर्थात वरिष्ठ अध्यापक के पद पर पदोन्नति दे दी गई थी जबकि वरिष्ठ होने के बावजूद याचिकाकर्ता को पदोन्नति से वंचित किया गया। याचिकाकर्ता द्वारा माध्यमिक शिक्षा विभाग को अनेक प्रार्थना पत्र अपनी पदोन्नति हेतु प्रस्तुत किए जिसमें प्रार्थी से जूनियर अध्यापकों को 3 वर्ष पूर्व पदोन्नति किए जाने का उल्लेख किया था, लेकिन विभाग द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया।
विभाग ने भी अपने फरवरी 2019 के आदेश में द यह मान लिया था कि याचिकाकर्ता की पदोन्नति 2014-2015 वर्ष की रिक्तियों के विरुद्ध कर दी जाएगी लेकिन इसके बावजूद भी मई 20 में पदोन्नति के लिए जारी की गई वरिष्ठता एवं पात्रता सूची में याचिकाकर्ता का नाम ही अंकित नहीं है। जबकि नियमानुसार याची की पदोन्नति वर्ष 2017 से पूर्व ही हो जानी चाहिए थी। याची भरतपुर मंडल की वरिष्ठता सूची में 2004 - 2007 के क्रमांक 2310 पर आता है जबकि 2017 में ही प्रार्थी से जूनियर वरिष्ठता 2007 -2008 बाले अभ्यर्थियों को पदोन्नति दे दी गई। इसे गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस गोवर्धन बारदार ने प्रमुख शासन सचिव शिक्षा विभाग जयपुर सहित संयुक्त निदेशक शिक्षा विभाग भरतपुर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
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